अनुक्रम
इतिहास की परिभाषा
1. ई. एच. कार के अनुसार . वस्तुत: इतिहास, इतिहासकार तथा तथ्यों के बीच अंतक्रिया की अविच्छिन्न प्रक्रिया तथा वर्तमान और अतीत के बीच अनवरत परिसंवाद है।
इतिहास का वर्गीकरण
इतिहास के विषय-क्षेत्र का स्वरूप सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार सदैव विकसित होता रहता है। अतीतकालिक समाज का पूर्ण चित्रण ही इतिहास का प्रमुख उद्देश्य होता है। किसी भी समाज में संबंधित भौगोलिक दशा, वातावरण, आर्थिक व्यवस्था, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक, संवैधानिक, कानून, न्याय-व्यवस्था, आदि का विवरण आवश्यक होता है।
1. संवैधानिक इतिहास
संवैधानिक इतिहास का राजनैतिक इतिहास से गहरा संबंध है। इसके अध्ययन का स्वरूप वस्तुनिष्ठ है जबकि राजनैतिक इतिहास विषयनिष्ठ होता है। सामाजिक जीवन में इसका स्थान महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सामाजिक जीवन का आधार है। संवैधानिक इतिहास एक प्रकार से राज्य में स्वामित्व के लिए संघर्ष का प्रतीक है, इसकी मुख्य रुचि संस्थाओं में रहती है। यदि इतिहासकार सही एवं संतोषजनक कहानी समाज में प्रस्तुत करना 63 चाहता है तो उसे अपनी घटनाओं, तर्कों, एवं रुचि के लिए राजनैतिक इतिहास से परे जाना चाहिए।
2. आर्थिक इतिहास
समाज के प्रारंभ के साथ ही आर्थिक इतिहास का उदय होता है। समाज में अपनी आजीविका के साधनों को किस प्रकार उत्पन्न किया, इसका ज्ञान आर्थिक इतिहास प्रदान करता है। आर्थिक इतिहास के क्षेत्र में मनुष्य कायोर्ं को प्रभावित करने वाले विचार, समाज का उद्देश्य, विभिन्न सामाजिक वगोर्ं का पारस्परिक संबंध तथा व्यवहार का अध्ययन, आदि विषय होते हैं। इतिहासकारों का प्रयास यह देखना है कि आर्थिक परिस्थितियों के परिणामस्वरूप किस प्रकार सामाजिक संबंधों, मानवीय व्यवहारों, तथा कार्यों के परिवेश में सामाजिक परिवर्तन है।
3. सामाजिक इतिहास
सामाजिक इतिहास के अंतर्गत लोगों के विचार एवं कार्य, दैनिक जीवन, विश्वास, आवश्यकता, आदत, पूर्वज, आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। सामाजिक इतिहास की अपनी समस्याएँ है। इसका अध्ययन रोचक है, किंतु इसकी निरंतरता, मंदगति, तथा परिवर्तन का अध्ययन अत्यंत जटिल है। इतिहास का विकास व्यक्तियों तथा राष्ट्रों से नहीं बल्कि विभिन्न युगीन समाजों से हुआ है। अत: इतिहास की आधारशिला समाज है। अत: सामाजिक इतिहास का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
4. राजनैतिक इतिहास
राजनैतिक इतिहास इतिहास की केंद्रीय स्थिति है, क्योंकि व्यक्ति सार्वजनिक संस्थाओं में ही घटनाओं को नियंत्रित करने की इच्छा अभिव्यक्त करता है। राजनैतिक इतिहास के अंतर्गत राष्ट्रों के पारस्परिक संबंधों का वर्णन रहता है। इसमें समस्या-संबंधी आंतरिक तथा वाह्य परिस्थितियों का उल्लेख नहीं रहता। इसके अंतर्गत समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न राष्ट्रों का प्रयास तथा आदान-प्रदान के पत्रों का विवरण रहता है।
5. सांस्कृतिक इतिहास
सांस्कृतिक इतिहास सामाजिक इतिहास का अभिन्न अंग है। इसके अंतर्गत रीति-रिवाज, संस्कार, शिक्षा, साहित्य, वास्तुकला, चित्रकला, संगीत, तथा आमोद-प्रमोद के साधनों का विवरण रहता है। सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन को सरल तथा सुबोध बनाने के लिए इतिहासकारों ने इतिहास-क्षेत्र को तीन भागों में वर्गीकृत किया है:-
6. कानूनी इतिहास
7. ऐतिहासिक भूगोल
इसमें इतिहास तथा भूगोल का समान अंष होता है। स्थानीय इतिहास को इतिहास का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। इसका अध्ययन रोचक होने के साथ-साथ भविष्य ही संभावनाओं को उजागर करने वाला भी होता है।
इतिहास वास्तव में ऐतिहासिक स्रोतों, अभिलेखों, एवं संस्मरणों में वर्णित घटनाओं का न तो विवरण है और न तो अतीत तथा वर्तमान के बीच अनवरत परिसंवाद। अधिकतर घटनाएँ मनुष्य की कृतियाँ होती है। उनके पीछे मानवीय मस्तिष्क की भूमिका निर्णायक होती है। इतिहासकार द्वारा इन घटनाओं के अंत:स्थल में प्रवेश कर क्रियाकलापों के परिवेश में मानवीय मस्तिष्क को समझना ही इतिहास है।
तथ्य तथा इतिहासकार के बीच अंतक्रिया की अविच्छिन्न प्रक्रिया से उद्भूत इतिहास, अतीत तथा वर्तमान के बीच संबद्ध सेतु है। इतिहासकार इस सेतु का चक्रीय प्रकाश स्तम्भ है, जिसका प्रमुख अभिप्राय समसामयिक समाज को अतीत का अवलोकन कराकर वर्तमान को प्रशिक्षित करना तथा सुखद एवं सुसंपन्न भविष्य का मार्गदर्शन कराना है। वर्तमान का अविर्भाव अतीत के गर्भ से हुआ है तथा अतीत वर्तमान की आधारशिला है और वर्तमान की आधारशिला पर भविष्य निर्भर करता है। अतीत के परिवेश में ही वर्तमान का मूल्यांकन संभव है। इतिहास मानवीय मस्तिष्क की सर्वोत्कृष्ट रचना है। इतिहास अतीत एवं वर्तमान के बीच संपर्क मार्ग पर सेतु है जो अतीत, वर्तमान, एवं भविष्य के बीच अवरोध को दूर करके भावी पीढ़ी के लिए निष्कंटक मार्ग का दिशा-निर्देशन करता है। इतिहास अनुशासित शोध का एक रूप है जिसके द्वारा मानव मस्तिष्क अपनी जिज्ञासाओं को शान्त करता है।