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किसी भी देश की अर्थव्यवस्था उसके विकसित, अविकसित या विकासशील कहे जाने का निर्धारण करती हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था हैं, जो निरंतर गति से बढ़ रही हैं।
अर्थव्यवस्था की परिभाषा
ए.जे. ब्राउन के अनुसार, ‘‘अर्थव्यवस्था एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा लोग जीविका प्राप्त करते हैं।’’ जिस विधि से मनुष्य जीविका प्राप्त करने का प्रयास करता है वह समय तथा स्थान के सम्बन्ध में भिन्न होती है।
अर्थव्यवस्था के प्रकार
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था:- ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें निजी क्षेत्रों व बाजार की भूमिका प्रभावकारी होती है, आर्थिक गतिविधियों के समस्त निर्णय जैसे कितना उत्पादन किया जाए किसका किया जाए कैसे किया जाए। निजी क्षेत्र द्वारा लिए जाते है दूसरे शब्दों में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था बाजार की शक्तियों अर्थात मांग एवं पूर्ति द्वारा संचालित होती है जिसका एकमात्र उद्देश्य लाभ प्राप्त करना है उदाहरण के लिए अमेरिका, कनाडा, मेक्सिकों की अर्थव्यवस्थाएँ पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है।
2. समाजवादी अर्थव्यवस्था- ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें आर्थिक क्रियाओं का निर्धारण एवं नियंत्रण केन्द्रीय इकाई या राज्य के द्वारा होता है इसीलिए इसे नियंत्रित अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है यहाँ बाजार के कारकों की भूमिका सीमित होती है, पूंजीवादी अर्थव्यवस्था जहाँ उपभोग एवं उत्पादन का निर्धारण करता है वहीं समाजवादी अर्थव्यवस्था उत्पादन एवं उपभोग का निर्धारण करती है, वहीं दूसरी और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था लाभ से प्रेरित होती है, जबकि समाजवादी अर्थव्यवस्था कल्याणकारी राज्य की संकल्पना पर आधारित होती है उदाहरण के लिए चीन, वियतनाम, उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्थाएँ।
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था- एक ऐसी प्रणाली जिसमें बाजार यंत्र के संचालन के साथ राज्य की भूमिका भी साथ-साथ चलें मिश्रित अर्थव्यवस्था कहलाती है इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के आवश्यक निर्णय राज्य के द्वारा लिए जाते हैं जबकि संबंधित निर्णय बाजार द्वारा लिए जाते हैं, मिश्रित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत पूंजीवादी अर्थव्यवस्था तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं उदाहरण के लिए भारत नार्वे और स्वीडन की अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था का उदाहरण है।
अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएं
अर्थव्यवस्था की कुछ मुख्य विशेषताएं है :-
- आर्थिक संस्थाएं मानव निर्मित होती है। अत: अर्थव्यवस्था वैसी ही होती है, जैसी हम उसे बनाते हैं।
- आर्थिक संस्थाएं सृजित, विघटित, प्रतिस्थापित अथवा परिवर्तित हो सकती हैं। उदाहरण के लिये यू.एस.एस.आर. में 1917 में साम्यवाद ने पूंजीवाद को विस्थापित कर दिया तथा 1989 में भूतपूर्व यू.एस.एस.आर. में आर्थिक सुधारों की श्रृंखला के माध्यम से साम्यवाद ध्वस्त हो गया। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1947 में आर्थिक तथा सामाजिक सुधारों द्वारा हमने जमींदारी पद्धति का उन्मूलन कर दिया तथा अनेक भूमि सुधार लागू किये।
- आर्थिक गतिविधियों के स्तर में परिवर्तन होता रहता है।
- उत्पादक तथा उपभोक्ता समान व्यक्ति होते हैं। इस प्रकार उनकी भूमिका दोहरी होती है। उत्पादकों के रूप में वे कार्य करते हैं तथा कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करते हैं और उसी को उपभोक्ताओं के रूप में उपभोग करते हैं।
- उत्पादन, उपभोग तथा निवेश अर्थव्यवस्था की अति आवश्यक गतिविधियां होती हैं।
- आधुनिक जटिल अर्थव्यवस्थाओं में हम मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग करते हैं।
- आजकल अर्थव्यवस्था मे सरकारी हस्तक्षेप को अवांछनीय समझा जाता है तथा सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों एवं बाजार शक्तियों की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की वरीयता में वृद्धि हो रही है।
