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Trademark एक ब्राण्ड है जिसे वैधानिक संरक्षण प्राप्त होता है। जब किसी ब्राण्ड का सरकार में पंजीयन करा लिया जाता है तो वह ट्रेडमार्क बन जाता है, जैसे खजूर छाप डालडा घी, ए. सी. सी. ब्राण्ड सीमेण्ट, टिक्काछाप दियासलाई, ऊॅट छाप स्याही, बच्चे के हाथ में ब्रूस लिए हुए छाप एशियन पेण्ट्स। कभी-कभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड नाम को एक विशिष्ट ढंग से लिखने से भी बन जाता है,जैसे- कोकाकोला। भारत में ट्रेडमार्क के पंजीकरण के लिए इण्डियन ट्रेडमार्क एक्ट,1940 है। ट्रेडमार्क के लिए किसी नाम उत्पाद की पहचान का साधन है जिसकी नकल होने पर दोषी व्यक्ति/संस्था के प्रति वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।
ट्रेडमार्क की परिभाषा
ट्रेडमार्क की प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैः
विलियम जे. स्टेन्टन के अनुसार, ‘‘ट्रेडमार्क एक ब्राण्ड है, जिसे किसी विक्रेता द्वारा अपनाया गया है तथा कानून द्वारा संरक्षण दिया गया है।’’
कोपलेण्ड के अनुसार, ‘‘ट्रेडमार्क कोई भी चिन्ह् संकेत, प्रतीक, अक्षर या शब्द है जो किसी उत्पाद के उद्भव या स्वामित्व को प्रकट करता है जो उसकी किस्म से भिन्न होता है तथा दूसरे उसका उसी प्रकार उपयोग करने का वैधानिक अधिकार नहीं रखते है।’’
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन, ‘‘ट्रेडमार्क (trademark) एक ब्राण्ड है जिसका वैधानिक संरक्षण दे दिया गया है क्योंकि इसको कानून के अन्तर्गत केवल एकमात्र विक्रेता द्वारा अपनाया जा सकता हैं।’’ इस प्रकार ट्रेडमार्क भी एक ब्राण्ड ही है, जिसका उपयोग करने का अधिकार केवल उसी व्यक्ति या संस्था को होता है जिसने विधान के अनुसार उसका पंजीयन करवाकर वैधानिक संरक्षण प्राप्त कर लिया है।
ट्रेडमार्क (trademark) भी शब्द, अक्षर, चिन्ह, प्रतीक या अंक आदि के रूप में हो सकता है जिसका प्राय: उच्चारण भी किया जा सकता है। इसमें चित्रयुक्त डिजायन भी सम्मिलित है, जिनका वर्णन किया जा सकता है।
भारत सरकार ने ट्रेड एण्ड मर्केन्डाइज मार्क एक्ट, 1958 के अन्तर्गत ट्रेडमार्क के पंजीयन की व्यवस्था की है। इस अधिनियम की धारा 11 एवं 12 में ट्रेडमार्क के पंजीयन की शर्ते दे रखी है। इन शर्तों का पालन करते हुए कोई भी व्यक्ति या संस्था अपने ब्राण्ड/ट्रेडमार्क का पंजीयन करवा सकती है। ट्रेडमार्क पंजीयन की कुछ शर्तें इस प्रकार है।
- ट्रेडमार्क धोखा देने वाला या संदेह उत्पन्न करने वाला नहीं होना चाहिए।
- यह देश के राजनियम के विरूद्ध नही होना चाहिए।
- यह अपमानजनक या निन्दाकारक नहीं होना चाहिए।
- यह अश्लील नही होना चाहिए।
ट्रेडमार्क की विशेषताएँ
- इसमें ब्राण्ड का कानून के अन्तर्गत पंजीयन होता है।
- ट्रेडमार्क को कानून के अन्तर्गत केवल एकमात्र संस्था या व्यक्ति या विक्रेता द्वारा अपनाया जा सकता है।
- सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड हैं ओर इनमें वे सभी शब्द, लेख या अंक शामिल हैं जिनका उच्चारण हो सकता है। इसी प्रकार इसमें तस्वीर की डिजाइन भी सम्मिलित है।
- ट्रेडमार्क वस्तु को उसकी किस्म से भिन्न करते है।
- ट्रेडमार्क, रजिस्टर्ड ब्राण्ड के बारे में प्रयुक्त किया जाता है। इसलिए सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड माने जाते हैं, किन्तु सभी ब्राण्ड ट्रेडमार्क नहीं माने जाते है।
- व्यावहारिक दृष्टि से ब्राण्ड एवं ट्रेडमार्क में अन्तर नहीं है, किन्तु कानूनी दृष्टि से विचार करने पर इनमें अन्तर प्रकट होता है।
ट्रेडमार्क और ब्राण्ड में अन्तर
ट्रेडमार्क तथा ब्राण्ड में अन्तर के प्रमुख है-
- ट्रेडमार्क की नकल नहीं की जा सकती है क्योंकि नकल करने वालों के विरूद्ध ट्रेडमार्क अधिनियम के अन्तर्गत वैधानिक कार्यवाही की जा सकती है। इसके विपरीत ब्राण्ड की नकल की जा सकती है क्योंकि ब्राण्ड की नकल करने वालों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है।
- एक ट्रेडमार्क का उपयोग केवल एक ही निर्माता अथवा उत्पादक कर सकता है क्योंकि केवल उसी को उसका एकमात्र उपयोग करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त होता है। इसके विपरीत, ब्राण्ड का उपयोग एक से अधिक निर्माता अथवा उत्पादक कर सकते हैं।
- ट्रेडमार्क का क्षेत्र सीमित है। यह ब्राण्ड का एक भाग है जिसे वैधानिक संरक्षण प्राप्त होता है। इसके विपरीत, ब्राण्ड का क्षेत्र व्यापक है। सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड होते है। किन्तु सभी ब्राण्ड ट्रेडमार्क नही होते हैं।
- वैधानिक दृष्टि से ट्रेडमार्क का पंजीयन करना अनिवार्य होता है। जब किसी ब्राण्ड का पंजीयन हो जाता है तो वह ट्रेडमार्क बन जाता है। इसके विपरीत, ब्राण्ड अपंजीकृत होता है।
- सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड होते है किन्तु सभी ब्राण्ड ट्रेडमार्क नहीं होते क्योंकि केवल वही ब्राण्ड ट्रेडमार्क कहलाते हैं जिनका सम्बन्धित कानूनों के अन्तर्गत पंजीयन हो चुका होता है।
- ट्रेडमार्क निर्माता अथवा उत्पाद का संकेत है जबकि ब्राण्ड किसी उत्पाद गुणों का संकेत है।