सहयोग का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं प्रकार

जब व्यक्ति समान उद्देश्य के लिए एक साथ कार्य करते हैं तो उनके व्यवहार को सहयोग कहते हैं। सहयोग व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है क्योंकि इससे उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि तथा उद्देश्यों की पूर्ति होती है। व्यक्ति चेतन रूप से सहयोगिक क्रिया में भाग लेता है। सहयोग की परिभाषा ग्रीन, ए डब्लू ,‘‘सहयोग दो या अधिक व्यक्तियों …

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मंत्रणा का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं महत्व

मंत्रणा एक मनोवैज्ञानिक पहलू है। मंत्रणा को बिना संस्था के माध्यम से भी सम्पन्न किया जा सकता है। इसके लिए रिलीफ फन्ड्स, फॉस्टर होम या होम मेकर की आवश्यकता नहीं होती है। मंत्रणा के अन्तर्गत सेवाथ्री को को ठोस सेवा न प्रदान करके केवल मार्गदर्शन करने का प्रयत्न किया जाता है। परन्तु वैयक्तिक सेवा कार्य में …

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सामाजिक परिवर्तन का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएँ

सामाजिक परिवर्तन प्रकृति का नियम है, अथवा सामाजिक परिवर्तन भी प्राकृतिक या स्वाभाविक है। ऐसे किसी भी समाज की कल्पना नहीं की जा सकती जो की पूर्णतया अपरिवर्तनशील व स्थिर हो। यदि समाज की व्यवस्था में कोई परिवर्तन या हेर फेर हो जाता है तो उस बदलाव को सामाजिक परिवर्तन कहेंगे। परिवर्तन एक व्यापक प्रक्रिया है। …

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समाजवाद का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं, गुण/दोष

आधुनिक आर्थिक प्रणाली का एक अन्य प्रमुख प्रकार समाजवाद है। समाजवाद का जन्म पूँजीवाद एवं व्यक्तिगत संपत्ति की बुराइयों के विरोध में हुआ। स समाजवाद में व्यक्ति एवं वैयक्तिक स्वार्थ की अपेक्षा समाज और सामूहिक हित को अधिक महत्व दिया जाता है। समाजवाद का अर्थ समाजवाद अंग्रेजी भाषा के सोशलिज्म (socialism) शब्द का हिन्दी पर्यायवाची है। सोशलिज्म …

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समाज का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रमुख तत्व

समाज (Society) एक उद्देश्यपूर्ण समूह होता है, जो किसी एक क्षेत्र में बनता है, उसके सदस्य एकत्व एवं अपनत्व में बंधे होते हैं। मनुष्य चिन्तनशील प्राणी है। मनुष्य ने अपने लम्बे इतिहास में एक संगठन का निर्माण किया है। वह ज्यों-ज्यों मस्तिष्क जैसी अमूल्य शक्ति का प्रयोग करता गया, उसकी जीवन पद्धति बदलती गयी और जीवन पद्धतियों …

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जाति की उत्पत्ति के सिद्धांत

भारत में जाति की उत्पत्ति के विषय में अनेक सिद्धान्त प्रतिपादित किए गए हैं लेकिन कोई भी सिद्धान्त सही व्याख्या नहीं करता। रिज़ले ने जाति की उत्पत्ति प्रजातीय भिन्नताओं (racial differences) के कारण बताई, नेसफील्ड तथा इबेट्सन ने पेशे को इसका कारण बताया, अबे डुबॉयस ने ब्राह्मणों की भूमिका को इसका कारण बताया, और हट्टन ने …

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सम्प्रदाय का अर्थ और सम्प्रदाय का स्वरूप

सम्प्रदाय का अर्थ सम्प्रदाय शब्द का कोशगत अर्थ है- “ परम्परा से चला आया हुआ ज्ञान, मत सिद्धान्त, गुरु परम्परा से मिलने वाला उपदेश, मंत्र, किसी धर्म के अन्तर्गत कोई विशिष्ट मत या सिद्धान्त। उक्त प्रकार के मत व सिद्धान्त को मानने वालों का वर्ग या समूह यथा शैव, वैष्णव आदि किसी विचार, विषय या सिद्धांत …

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जनमत किसे कहते हैं? जनमत निर्माण के लिए क्या आवश्यक है?

किसी भी राष्ट्र या राज्य की सरकार शासन जब भी कोई कार्यक्रम बनाती है उसका उद्देश्य जन-जन का कल्याण होता है। उस कार्यक्रम का प्रभाव जन पर क्या पड़ेगा, कैसा पडे़गा इसकी जानकारी भी लेना योजना बनाने वालों के लिए आवश्यक होता है जनता पर हुए प्रभावों और प्रतिक्रियाओं को जानना ही ‘जनमत’ एकत्रित करना कहलाता …

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प्लेटो का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएँ, शिक्षा दर्शन

प्लेटो 18 या 20 वर्ष की आयु में सुकरात की ओर आकर्षित हुआ। यद्यपि प्लेटो तथा सुकरात में कुछ विभिन्नताएँ थीं लेकिन सुकरात की शिक्षाओं ने इसे अधिक आकर्षित किया। प्लेटो सुकरात का शिष्य बन गया। प्लेटो का गुरु सुकरात था। सुकरात के विचारों से प्रेरित होकर ही प्लेटो ने राजनीति की नैतिक व्याख्या की, सद्गुण को ज्ञान …

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गृह व्यवस्था का अर्थ, परिभाषा, महत्व एवं क्षेत्र

साधारण शब्दों में गृह व्यवस्था (House kepping) का अर्थ है घर का रखरखाव या घर को सुचारू रूप से चलाने के लिये इसकी स्वच्छता, उचित रखरखाव व व्यवस्था की देख-रेख। जब आप अपने घर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखते हैं तब आप इसे अधिक से अधिक सुंदर भी रखना चाहते हैं।  आप यह कैसे सुनिश्चित करें …

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