सहिष्णुता का अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता एवं विकास

सहिष्णुता का शाब्दिक अर्थ है सहन करना। विरोधी के साथ न प्रवृत्ति करो, न निवृत्ति करो, किन्तु उपेक्षा करो। क्रोध करने वाले के साथ क्रोध नहीं, उसकी उपेक्षा करो।  सहिष्णुता का एक अर्थ है-सहन करके सुधार के लिए अवसर देना। किसी व्यक्ति की तुच्छता को सहन करना उसको बिगाड़ना नहीं, वरन् उसे सुधरने का अवसर देना …

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सामान्य सम्भावना वक्र का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उपयोग

किसी भी समूह के किसी भी चर पर प्राप्त प्राप्तांक (Score) प्राय: औसत (मध्यमान) की ओर झुके हुए होते हैं। जब इन प्राप्तांकों का मध्यमान के दोनों ओर वितरण एकदम समान होता है तो प्राप्तांकों के इस प्रकार के वितरण को सामान्य वितरण (Normal Distribution) कहते हैं और इस प्रकार के प्राप्तांकों के आरेख (Graph) को …

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दृष्टि बाधित बालक की परिभाषा, विशेषताएं एवं वर्गीकरण

दृष्टिबाधित बालक की परिभाषा दृष्टिहीनता के समय-समय पर अलग-अलग दृष्टिकोण से परिभाषित किया गया है। आयुर्विज्ञान में दृष्टिहीनता का तात्पर्य नेत्रों से कुछ भी न देखने की स्थिति है। 1. शैक्षिक दृष्टि से –“दृष्टिबाधिता एक ऐसा दृष्टि विकास है, जिसके परिणामस्वरूप दृश्य – सामगी के प्रयोग से शिक्षण आशिंक रूप से भी संभव न हो सके।”  …

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श्रवण बाधित की परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं, श्रवण बाधिता की पहचान

जब कोई व्यक्ति सामान्य ध्वनि को सुनने में असक्षम पाया जाता है, तो हमें उसे अक्षम कहा जा सकता है और इस अवस्था को श्रवण क्षतिग्रस्तता कहा जाता है। हमारे देश में इस प्रकार की समस्या से ग्रसित प्राय: हर आयु वर्ग के लोग पाये जाते हैं, जिसके अनेकों कारण हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ध्वनि …

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मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है ? इसकी विभिन्न परिभाषा और उद्देश्यों का विस्तृत विवेचन

मनोविज्ञान व्यावहारिक जीवन का विज्ञान है। यह ज्ञान की वह शाखा है जो प्राणियों के व्यवहार एवं मानसिक प्रक्रियाओं जैसे कि बुद्धि, स्मृति, चिन्तन, सीखना, समस्या समाधान, निर्णय प्रक्रिया, विस्मरण का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित अध्ययन करती है। भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में प्राणी (मानव एवं पशु दोनों) किस प्रकार का व्यवहार करते है? उनके इस प्रकार व्यवहार करने …

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मनोचिकित्सा का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, विधियां

मनोचिकित्सा शब्दार्थ में मन की चिकित्सा है। मन की प्रवृत्ति को भी सकारात्मक एवं नकारात्मक दो प्रकार का माना जाता है। जब मन की प्रवृत्ति सकारात्मक होती है तब व्यक्ति का सृजनात्मक मानसिक विकास होता है। वहीं जब मन की प्रवृत्ति नकारात्मक हो जाती है तब यही मन रोगमय हो जाता है फलत: इसकी चिकित्सा की …

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अधिगम असमर्थता के कारण और प्रकार

अधिगम विकृति का संबंध सीखने में होने वाली अक्षमता से होता है यह अक्षमता कई प्रकार के कौशलों एवं संज्ञानात्मक विकास से संबंधित हो सकती है। जब किसी बालक को अन्य हमउम्र बालकों की तुलना में पढ़ाई लिखाई अथवा गणित आदि विषयों में पिछड़ा हुआ पाया जाता है। और उसका यह पिछड़ना सामान्य नहीं होता बल्कि …

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सामान्यीकृत चिंता विकार क्या है सामान्यीकृत चिंता विकार के कौन से कारण अथवा कारक जिम्मेदार हैं।

जब अधिक चिंता दीर्घकाल तक बनी रहती है तो वह सामान्यीकृत चिंता विकार का रूप ले लेती है। बहुत से मनोवैज्ञानिकों ने सामान्यीकृत चिंता विकार को परिभाषित किया है इन परिभाषाओं के अवलोकन से हम सामान्यीकृत चिंता विकार के संप्रत्यय को भली भॉंति समझ सकते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रोनाल्ड जे कोमर ने अपनी पुस्तक ‘फण्डामेंटल्स ऑफ …

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मनोरोग के प्रकार

अधिकतर शारीरिक स्थितियों को हेतुकी एवं संरचात्मक विकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ सामान्य चिकित्सकीय स्थितियों जैसे माइग्रेन,ट्राईजेमिनल न्यूरालजिया को अभी तक इस प्रकार से वर्गीकृत नहीं किया जा सका है, जिसके कारण उनका वर्गीकरण केवल लक्षणों के आधार पर ही किया गया है। मानसिक विकार मुख्य रूप से इस दूसरे प्रकार …

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किशोरावस्था की विशेष समस्याऐं है, निम्न समस्याऐं आमतौर पर किशोरों में देखने को मिलती है

किशोरावस्था बालक या बालिकाओं की अवस्था 12 से 18 वर्ष के बीच होती है, विकास एवं वृद्धि की विभिन्न अवस्थाओं में किशोरावस्था अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। किशोरावस्था मनुष्य के विकास की तीसरी अवस्था है यह बाल्यावस्था के बाद शुरू होकर प्रौढ़ावस्था शुरू होने तक चलती रहती है, परंन्तु जलवायु एवं व्यक्तिगत भेदों के कारण किशोरावस्था …

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