अनुक्रम

संतुलित आहार का अर्थ
- संतुलित आहार आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।
- संतुलित आहार शरीर में पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करता है।
- संतुलित आहार अपर्याप्त मात्रा में भोजन मिलने की अवधि के लिये पोषक तत्व प्रदान करता है।
संतुलित भोजन क्या है – साधारणतः एक मनुष्य प्रतिदिन कौन-कौन वस्तु कितनी-कितनी मात्रा में खाये, जिससे उसकी शारीरिक आवश्यकताएँ पूरी हो जायें और वह रोगों से बचा रहकर उत्तम स्वास्थ्य और लम्बी आयु प्राप्त करें।
- रक्त में क्षारत्व और अम्लत्व की उपस्थिति की दृष्टि से संतुलित भोजन
- मोटे हिसाब से संतुलित भोजन
- सबसे सस्ता संतुलित भोजन
- एक परिश्रमी का संतुलित भोजन
- प्रौढ़ व्यक्ति के लिए संतुलित दैनिक भोजन
संतुलित आहार की परिभाषा
संतुलित आहार की परिभाषा – संतुलित आहार उसे कहते हैं, जिसमें सभी भोज्यावयक आवश्यक मात्रा में उपस्थित हों ताकि उनसे उपयुक्त मात्रा में शक्ति प्राप्त होने के साथ शरीर की वृद्धि तथा रख-रखाव संबंधी सभी पोषक तत्व प्राप्त हों और आहार अनावश्यक रूप से मात्रा में अधिक भी न हो।

संतुलित आहार के प्रमुख घटक
1. जल – जीवन के लिये जल अति आवश्यक है। जीवों के शरीर में जल की मात्रा 50 प्रतिशत से 85 प्रतिशत तक होती है। मनुष्य के शरीर का 70 प्रतिशत भार जल के कारण है। जल में मुख्य कार्य-
- संरचना-जीवद्रव्य का मुख्य अवयव है।
- पदार्थों का परिवहन।
- पसीने इत्यादि द्वारा शरीर के तापक्रम को कम करना।
- मूत्र द्वारा अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन-समस्थैतिकता बनाये रखना।
2. खनिज लवण – यह शरीर में कार्बनिक एवं अकार्बनिक अणुओं एवं आयनों के रूप में होते हैं। शरीर में पाये जाने वाले मुख्य खनिज लवण इस प्रकार हैं।
- गंधक – गंधकयुक्त एमीनों एसिड प्रोटीन निर्माण में सहायक हैं।
- कैल्शियम- फॉस्फोरस के साथ मिलकर हड्डियों व दाँतों के निर्माण में सहायक।
- फॉस्फोरस- कोशिका कला की संरचना हेतु फॉस्फोलिपिड का निर्माण।
- सोडियम तथा पोटैशियम- कोशिका के अन्दर तरल की मात्रा को नियंत्रित करना।
- क्लोरीन- पाचन रस में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का मुख्य अवयव।
- लौह- ऑक्सीजन संवहन, हीमोग्लोबिन का प्रमुख भाग।
- आयोडीन- थॉयरॉक्सिन हार्मोन का प्रमुख अवयव, उपापचय पर नियंत्रण।
- मैंगनीज- वसीय अम्लों का ऑक्सीकरण।
- मॉलिण्डेनम- नाइट्रोजन द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक।
3. कार्बोहाइड्रेट – रासायनिक रूप से ये जलयोजित कार्बनिक यौगिक या पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड्स व कीटोन्स होते हैं। कार्बोहाइड्रेट को शर्करा वाले यौगिक भी कहा जाता है। भोजन में यह घुलनशील शर्कराओं तथा अघुलनशील मंड के रूप में होते हैं। अधिकांश कार्बोहाइड्रेट शरीर में ऊर्जा उत्पादन के काम आते हैं।
कार्बोहाइड्रेट के कार्य-
- यह जीवों में मुख्य ऊर्जा स्रोत है।
- श्वसन के समय ग्लूकोस के टूटने से ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- अनेक जन्तुओं में रूधिर में ग्लूकोस ही रूधिर शर्करा के रूप में होती है। कोशिकाएँ इसे ऑक्सीकृत करके ऊर्जा प्राप्त करती हैं।
- स्तन ग्रंथियों में ग्लूकोस तथा गैलेक्टोस दूध की लैक्टोस शर्करा बनाते हैं।
- मांड व ग्लाइकोजन के रूप में कार्बोहाइड्रेट का शरीर में संग्रह किया जाता है। इसे संचित ईधन कहते हैं।
4. वसा – वसा कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के यौगिक हैं, किन्तु इनमें ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा कम होती है। रासायनिक रूप में ये वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल के एस्टर हैं।
- शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, भोजन का महत्वपूर्ण घटक है।
- ये जीवधारियों में संचित ऊर्जा के स्रोत के रूप में त्वचा के नीचे एडीपोज ऊतक की कोशिकाओं में संचित रहते हैं। यहाँ पर रहकर ये ताप अवरोधक का कार्य करते हैं और ठण्ड से बचाते हैं।
- विटामिन ए, डी, तथा ई के लिये विलायक का कार्य करते हैं।
5. प्रोटीन – प्रोटीन अधिक आण्विक भार वाले अत्यधिक जटिल रासायनिक यौगिक हैं। ये जीवधारियों में उनके शरीर में मुख्य घटक के रूप में पाये जाते हैं। ये कोशिकाओं के घटकों का संरचनात्मक ढांचा बनाते हैं। तथा जीवद्रव्य में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाले ठोस पदार्थ हैं। ये शरीर का 14 प्रतिशत प्रोटीन होते हैं।
- एन्जाइम के रूप में, हार्मोन्स के रूप में।
- ये इम्यूनोग्लोब्यूलिन्स हैं। ये बाह्य पदार्थ के प्रभाव को समाप्त करते हैं।
- रूधिर में पाये जाने वाले Thrombin तथा Librinogen प्रोटीन चोट लगने पर रूधिर का थक्का बनने में सहायक होते हैं।
- परिवहन- कुछ प्रोटीन कुछ विशिष्ट प्रकार के अणुओं से जुड़कर रूधिर द्वारा उनके परिवहन में सहायक है। उदाहरण के लिये हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर ऊतकों को पहुँचाता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के नाम
6. न्यूक्लिक एसिड – ये प्यूरिन एवं पाइरिमिडनी न्यूक्लिओटाइड्स के रैखिक क्रम में विन्यसित बहुलक हैं। ये बहुत अधिक आण्विक भार व जटिल संरचना वाले कार्बनिक अणु हैं। कार्य-
- DNA जीवों के आनुवंशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाता है।
- कुछ न्यूक्लियोटाइड्स सहएन्जाइम के रूप में कार्य करते हैं।
- जीवों के शरीर की मूल रूपरेखा क्छ। द्वारा ही बनायी जाती है।
- न्यूक्लियोप्रोटीन्स अन्य पदार्थों से अपने समान पदार्थ संश्लेषित कर सकते हैं।
7. विटामिन – विटामिन ऊर्जा प्रदान नहीं करते, वरन् सभी ऊर्जा-सम्बन्धी रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं। इनकी कमी से त्रुटिपूर्ण उपापचय के कारण प्राणियों में अनेक रोग होते हैं। इसी कारण इन्हें वृद्धि तत्व कहते हैं। प्राणी विटामिन का संश्लेषण नहीं करते, इनकी प्राप्ति का एकमात्र स्रोत भोजन है।
संतुलित आहार कैसा हो
- संतुलित आहार में व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार पोषक तत्वों की मात्राएँ शामिल होनी चाहिए।
- उसमें सभी पोषक तत्वों को स्थान मिलना चाहिए।
- संतुलित आहार ऐसा होना चाहिए कि विशेष पोषक तत्व साथ-साथ हो। जैसे- प्रोटीन और वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि।
- उस आहार में सभी पोषक तत्व उचित अनुपान में होने चाहिए।
- आहार उचित मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने वाला होना चाहिए।
- शरीर में एकत्रित होने वाले पोषक तत्वों की मात्रा आहार में अधिक होनी चाहिए।
- संतुलित आहार में सभी भोज्य समूहों से भोज्य पदार्थ शामिल होने चाहिए।
- आहार आकर्षक, सुगन्धित, स्वादिष्ट एवं रूचिकर होना चाहिए।
संतुलित आहार का महत्व
संतुलित आहार के बारे में जानना और स्वस्थ रहने के लिये संतुलित आहार लेना कितना आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है। संतुलित आहार के महत्व को आप निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते है-
- शर्मा, सुरभि (2006)। आहार ही औषधि। रामराज्य मंदिर प्रकाशन, दिल्ली
- श्री आदित्य। (2005) योग चिकित्सा विज्ञान। योग जीवन धाम ट्रष्ट, हरिद्वार
- सिंह, रामहर्ष (2006) योग एवं यौगिक चिकित्सा। चैखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, बंगलो रोड दिल्ली।
- जिन्दल, राकेश। (2005) प्राकृतिक आयुर्विज्ञान। आरोग्य सेवा प्रकाशन, पंचवटी, उमेश पार्क, मोदीनगर, उत्तरप्रदेष।