वसा में घुलनशील विटामिन की खोज सबसे पहले हुई। वसा में घुलनशील विटामिन इस प्रकार है – विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई , विटामिन के।
वसा में घुलनशील विटामिन और इसके कार्य, प्राप्ति के साधन, कमी से होने वाले रोग
वसा में घुलनशील विटामिन और इसके कार्य, प्राप्ति के साधन, कमी से होने वाले रोग, वसा में घुलनशील विटामिन इस प्रकार है –
(i) विटामिन ए के कार्य
- रात में या कम प्रकाश में दृष्टि शक्ति बनाए रखने में सहायक – आँख द्वारा प्रकाश में देखने की शक्ति विटामिन A की उपस्थिति पर निर्भर करता है। यह रैटिना में जाए जाने वाले कण रोडोप्सिन पर निर्भर करता है, जो प्रकार की उपस्थिति में हल्के रंग का पड़ जाता है तथा यह आँख के रेटिना में पाए जाने वाले राड्स तथा कोन्स के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है।
- विटामिन A एपीथीलियम ऊतकों की क्रियाशीलता तथा स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है जो कि ऊतकों की स्थिरता बनाए रखने में आवश्यक है। यह आँखों, त्वचा, आंत्र नली, जननांगों आदि अंगों की आंतरिक भित्ति का निर्माण करते हैं।
- खोपड़ी की अस्थियों का उचित विकास न होने पर इसका क्षेत्रफल छोटा रह जाता है तथा मस्तिष्क के लिए स्थान कम रह जाने के कारण यह दृष्टि नाड़ी पर दबाव डालता है जिससे अंधापन हो जाता है।
- हड्डियों का निर्माण – विटामिन ‘ए’ हड्डियों का निर्माण करने में सहायक होता है क्योंकि इसकी कमी से हड्डियाँ लंबाई में बढ़ना बंद कर देती है। हड्डी निर्माण में विटामिन ‘ए’ का कार्य अपरिपक्व कोशिकाओं को आस्तियांक्लास्ट कोशिकाओं में परिवर्तित कर देता है जो कि कोशिका संख्या बढ़ाने में सहायक है तथा यह आस्तीयोक्लास्ट के परिवर्तन में भी सहायक है जो हड्डी कोशिकाओं के टूटने में सहायक है। वृद्धि काल में पुनर्निर्मित की जाती है।
- विटामिन ए प्रोटियोलाइटिक एंजाइम्स के निकलने में सहायक है जो लाइसोसीम कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं।
- विटामिन की कमी से जनन की प्रक्रिया सम्पन्न नहीं हो पाती। पुरुष में नपुंसकता, स्त्रियों में गर्भाधान की क्रिया नहीं हो पाती या गर्भपात हो जाता है।
(ii) विटामिन ए प्राप्ति के साधन – विटामिन ए प्रमुख रूप से मछलियों के यकृत के तेल में उपस्थित रहता है। यकृत अण्डा, मक्खन, दूध तथा मछलियाँ विटामिन ए का साधन है।
(iii) विटामिन ए के कमी से होने वाले रोग
- रतौंधीं – इस रोग में कम प्रकाश में ठीक तरह देखने की क्षमता नहीं रहती विशेष रूप से जब उजाले से अंधेरे में जाया जाता या तेज धूप से कमरे में आया जाए। पढ़ने व गाड़ी चलाने में विशेष रूप से परेशानी होती है।
- कंजक्टाइविटिस – आँख की एपीथीलियम पर्त प्रभावित होती है। प्रकाश के प्रति आँखे संवेदनशील हो जाती है। आँखों में खुजली व सुजन, जलन होने लगती है। कभी-कभी आँखों में कंजाक्टाइवा तथा पलक पर सूजन आ जाती है, सफेदी छा जाती है।
- जीरोफ्थैलमियां – इसमें आँख की कार्निया सूख जाती है, सूजन आ जाती है। इसके कारण कार्निया में केराटिनाइजेशन क्रिया है, आँख में धुंधलापन आ जाता है।
- किरैटोमलेशिया – आँखों से सम्बन्धित विभिन्न रोगों की अन्तिम अवस्था किरेटोमलेशिया है, इसमें कॉर्निया बहुत कोमल हो जाता है, उस पर घाव हो जाते हैं। बैक्टीरिया आक्रमण कर देते हैं जिसका परिणाम पूर्ण रूप से आँखों की दृष्टि समाप्त होने अर्थात् अंधा होना होता है।
2. विटामिन डी – कॉड लीवर ऑयल के इस दूसरे वसा में घुलनशील तत्व को विटामिन डी अथवा रिकेट दूर करने वाला नाम दिया। यह तत्व रासायनिक रूप से कैल्सीफेरील कहलाता है। शुद्ध विटामिन डी सफेद गंध रहित वसा में घुलनशील परन्तु पानी में अघुलनशील तथा अम्ल, क्षार तथा हवा आदि के प्रति स्थिर होता है। प्रयोगों से ज्ञात हुआ है कि वसा के साथ उपस्थित स्टिरॉल पर सूर्य अल्ट्रावायलेट प्रकाश पड़ने से विटामिन डी का निर्माण होता है।
1. कैल्शियम चयापचय – यह लंबे समय से हड्डियों के निर्माण में सहायक तत्व है।
- विटामिन डी आंत्र नली से कैल्षियम अवषोशण में सहायक है। इसलिए कैल्षियम की उपलब्धता को निश्चित करता है जो हड्डी मज्जा में जमा होती है।
- यह रक्त कैल्षियम स्तर को बढ़ाता है जो कि हड्डियों के घुलने से आता है।
(ii) विटामिन डी प्राप्ति के साधन – विटामिन डी के प्रमुख साधन मछलियाँ के यकृत का तेल, मोटी वसा युक्त मछलियाँ, अण्डा, मक्खन, पनीर, वसा युक्त दूध आदि। दूध विटामिन डी का अच्छा साधन है क्योंकि इससे कैल्शियम व फॉस्फोरस भी प्राप्त हो जाता है।
(iii) विटामिन डी कमी से होने वाले रोग – विटामिन डी की कमी से बच्चों को रिकेट्स रोग तथा प्रौढ़ों को ओस्टो मलेशिया रोग हो जाता है।
- टांगों का झुकना या मुड़ना – यह लक्षण तब दिखाई देता है जब बच्चा चलना शुरू करता है क्योंकि इन बच्चों की हड्डियाँ कोमल होने के कारण शरीर का बोझ सहन नहीं कर पाती तथा धनुषाकार रूप में मुड़ जाती है।
- लंबी हड्डियों के सिरे बढ़ जाते हैं जिससे चलने में असुविधा होती है।
- नॉकनीस – बच्चों के बड़े होने पर टांगों की हड्डियाँ कमजोर होने के कारण दबाव सहन नहीं कर पाती तथा घुटने अंदर की तरफ मुड़ जाते हैं तथा चलते वक्त आप में टकराने के कारण चलने में कठिनाई होती है।
- पसलियां अनियमित रूप में फूले स्थान पर फूल जाती है कि पिरे हुए मोतियों के समान लगती है। इस लक्षण को ‘रिकेट्स रोजरी’ कहा जाता है।
- दांत जल्दी निकलते हैं तथा ठीक से निर्मित न होने के कारण जल्दी खराब हो जाते हैं।
- सामान्य वृद्धि रुक जाती है।
- पसलियाँ अवतल आकार Pigeon chest में मुड़ने लगती है जिससे वह आगे की तरफ उठ जाती है जिसे Peigon chest नाम दिया गया है।
(i) विटामिन ई के कार्य – यह ऊतकों में असंतृप्त वसीय उतकों को भी अस्वीकृत होने से रोकता है। विटामिन ई की कमी से असंतृप्त वसीय अम्लों का ऑक्सीकरण तेजी से होने के कारण चयापचय की गति बढ़ जाती है। यह लाल रक्त कणिकाओं को ऑक्सीकारक पदार्थों द्वारा टूटने-झूटने से बचाता है। इस तरह लाल रक्त कणिकाओं की जीवन अवधि को बढ़ाता है।
उपर्युक्त सभी वसा में घुलनशील विटामिन इस प्रकार है।