- मदिरा
- धूम्रपान
- तम्बाकू
- अफीम
- चरस आदि।
1. मदिरा – ये गेहूँ, जौ, चावल, अंगूर आदि के सड़ने के उपरान्त बनायी जाती है। इसमें हानीकारक पदार्थ एल्कोहल पाया जाता है। इसकी थोड़ी मात्रा नियमित उपयोग करने पर यह (भूख बढाने वाला ) के रूप में कार्य करता है। इसकी अधिक मात्रा उपयोग करने पर निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव दिखायी देते है:-
- मस्तिष्क पर प्रभाव- मदिरा ग्रहण करने से मस्तिश्क में क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए मदिरापान करके वाहन चलाने पर दुर्घटनायें अधिक होती है। अधिक शराब पीने से स्मरण शक्ति लोप हो जाता है।
- मांसपेशियों पर प्रभाव – मदिरा पान करने के पश्चात व्यक्ति की मांसपेशियों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे वह लड़खड़ाकर चलता है।
- यकृत पर प्रभाव – मद्यपान करने से यकृत की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होने लगती है। जिससे भूख कम होने लगती है। पीलिया की सम्भावना तथा सिरोसिस जैसी बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है।
- अमाशय पर प्रभाव- एल्कोहल अमाशय में उत्तेजना उत्पन्न करता है। जिससे अधिक अम्ल स्त्राव होता है यह अम्ल अधिकतर अमाशय मेंं घाव पैदा करता है।
- नैतिक व सामाजिक पतन- मद्यपान के पश्चात व्यक्ति की सोचने विचारने की क्षमता कम हो जाती है। जिससे वह कोई भी अपराध को अन्जाम दे सकता है। वह समाज से सैदव अलग रहने की कोशिश करता है। नशे के समय वह यह निर्णय नहीं कर पाता कि क्या नैतिक है और क्या अनैतिक है।
2. धूम्रपान – बीडी, सीगरेट, चुरट आदि धूम्रपान के लिए उपयोग में लाये जाते है। ये सभी पदार्थ तम्बाकू से बनाये जाते है। और तम्बाकू मेंं एक हानिकारक पदार्थ निकोटिन पाया जाता है। इसका जब धुएँ के रूप में उपयोग किया जाता है। तो शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
- निकोटिन को अधिक मात्रा धुएं के रूप में लेने से गला तथा फेफडे प्रभावित होते है। तपेदिक रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
- शरीर में O2 की कमी से रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। थोड़ा सा चलने पर व्यक्ति हाँकने लगता है।
- रक्त चाप बढ़ जाता है।
- मुख और फेफडे़ का केन्सर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
- मांसपेशियों की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
- पाचन क्रिया खराब हो जाती है।
नोट – जो धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहते हैं, उनके शरीर पर और भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
3. अफीम – यह भी मादक द्रव है। इसका उपयोग खाकर, इन्जेक्शन द्वारा एवं सूँघकर किया जाता है। इसके उपयोग से शारीरिक विकास रूक जाता है। शरीर दुर्बल हो जाता है। वैचारिक क्षमता कम होने लगती है। वह समाज से अलग रहने की कोशिश करता है। अपने व्यसन की पूर्ति के लिए कोई भी अपराध कर सकता है।
