राजभाषा हिंदी संबंधी समितियां
- हिन्दी सलाहकार समितियाँ
- संसदीय राजभाषा समिति
- केन्द्रीय राजभाषा
- नगर राजभाषा
- राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ
1. हिन्दी सलाहकार समितियाँ – भारत सरकार की राजभाषा नीति के सूचारू रूप से कार्यान्वयन के बारे में सलाह देने के उद्देश्य से विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में हिन्दी सलाहकार समितियों की व्यवस्था की गई। इस समितियों के अध्यक्ष सम्बन्धित मंत्री होते हैं और उनका गठन ‘केन्द्रीय हिन्दी समिति’ (जिसके अध्यक्ष माननीय प्रधानमंत्री जी हैं) सिफारिश के आधार पर बनाए गए मार्गदर्शी सिद्धान्तों के अनुसार किया जाना उपक्षित है। ये समितियाँ अपने-अपने मंत्रालयों/विभागों/उपक्रमों में हिन्दी की प्रगति की समीक्षा करती हैं, विभाग में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के तरीके सोचती हैं और राजभाषा नीति के अनुपालन के लिए ठोस कदम उठाती है। नियमानुसार इनकी बैठकें 3 महीने में एक बार अवश्य होनी चाहिए।
- राजभाषा अधिनियम/नियम और सरकारी कामकाज में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा जारी किए गये आदेशों और हिन्दी के प्रयोग से सम्बन्धित वार्षिक कार्यक्रम के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा।
- नगर के केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने के सम्बन्ध में किये जाने वाले उपायों पर विचार।
- हिन्दी के सन्दर्भ सहित्य, टाइपराइटरों, टाइपिस्टों, आशुलिपिकों आदि की उपलब्धि की समीक्षा।
- हिन्दी, हिन्दी टाइपिंग तथा हिन्दी आशुलिपि के प्रशिक्षण से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार। इस प्रकार की बैठकें वर्ष में दो बार होती हैं। इनकी अध्यक्षता नगर के वरिष्ठतम अधिकारी करते हैं। इन समितियों में नगर में स्थित सभी केन्द्रीय सरकारी कार्यालयों तथा उपक्रमों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं, अपने-अपने कार्यालयों की तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सुझाव देते हैं। प्रारम्भ में ऐसे नगरों की संख्या सीमित थी, अब बढ़ती जा रही है। हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने में इन बैठकों से विशेष लाभ हुआ है। इस हेतु हर वर्ष विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन इस समिति की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है।
5. राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ प्रत्येक मंत्रालय/विभाग में राजभाषा-आदेशों का कार्यान्वयन ठीक-ठीक चलाने के लिए राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन कार्यालय ज्ञापन सं. 6/63/64-रा.भा. दिनांक 10-12-1964 के आधार पर सन् 1965 में किया गया। इस समिति के सुपुर्द मोटे तौर पर निम्नलिखित कार्य सौंपे गये :
- हिन्दी के प्रयोग के सम्बन्ध में गृह मंत्रालय के अनुदेशों के कार्यान्वयन का पुनरीक्षण करना और उस बारे में आरम्भिक तथा अन्य कार्रवाई करना।
- तिमाही प्रगति रिपोर्टों का पुनरीक्षण करना।
- हिन्दी-भाषी क्षेत्रों से प्राप्त तिमाही रिपोर्ट का पुनरीक्षण।
- कार्यान्वयन सम्बन्धी कठिनाइयों को देखना और उनका हल निकालना।
- हिन्दी के प्रशिक्षण के बारे में अनुदेशों का परिपालन तथा हिन्दी टंकण तथा आशुलिपि में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को उपयुक्त संख्या में भेजना।
केन्द्रीय हिन्दी समिति को दूसरी बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार समिति के काम की देखरेख मंत्रालय/विभाग के संयुक्त सचिव के अधिकारी को, विशेषत: प्रशासन से सम्बन्धित अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। हिन्दी अधिकारी/हिन्दी का काम देखने वाला अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव रखा जाता है। यह भी ध्यान रखा गया है कि समिति के सदस्यों की संख्या 15 से अधिक न हो। इस समिति की बैठक तीन माह में एक बार अवश्य होनी चाहिए। इस सम्बन्ध में गृह मंत्रालय ने सन् 1975 में कड़े आदेश जारी किये।
उक्त आदेश के अनुसार समितियाँ लगभग सभी मंत्रालयों/विभागों में गठित की गयीं। बाद में सन् 1668, 1969 तथा 1975 में इसके ठीक-ठीक अनुपालन की ओर ध्यान दिलाया गया। आगे चलकर सन् 1976 में हिन्दी प्रशिक्षण योजना के अधिकारियों को सदस्यता देने का प्रावधान किया गया। गैर सरकारी व्यक्तियों को सदस्य न बनाने का सुझाव दिया गया। यह भी सुझाव दिया गया कि कार्यालय विशेष के गठन को देखते हुए, उचित अनुपात में अहिन्दी-भाषी अधिकारियों को रखा जाये। कोशिश यह हो कि किसी भी समिति में जहाँ तक हो सके, आधे सदस्य अहिन्दी-भाषी हों।
