अनुक्रम
मुद्रा की परिभाषा
मुद्रा का वर्गीकरण
1. प्रकृति के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण
2. वैधानिक मान्यता के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण
1. विधि ग्राह्य मुद्रा – यह वह मुद्रा है जो भुगतान के साधन के रूप में जनता द्वारा स्वीकार की जाती है। को भी व्यक्ति भुगतान के रूप में इसे स्वीकार करने से इनकार रहीं कर सकता है और यदि वह एसेा करता है, तो सरकार उसको दण्डित कर सकती है। इसीलिए इस विधि ग्राह्य मुद्रा कहते है। विधि ग्राह्य मुद्रा दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
1. सीमित विधि ग्राह्य मुद्रा – यह वह मुद्रा है जिसको एक निश्चित सीमा तक ही स्वीकार करने के लिए किसी व्यक्ति को बाध्य किया जा सकता है। इस निश्चित सीमा में अधिक मुद्रा लेने से व्यक्ति इनकार कर दे तो न्यायालय की शरण लेकर उसको बाध्य नहीं किया जा सकता। जैसे- भारत में 5 पैसे से लेकर 25 पैसे तक के सिक्के केवल 25 रुपये तक ही विधि ग्राह्य है। अत: यदि किसी व्यक्ति को इन सिक्कों की 25 रुपये से अधिक की रजे गारी दी जाती है तो वह इसे अस्वीकार कर सकता है। हाँ वह 25 रुपये तक इन सिक्कों को स्वीकार करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
3. पदार्थ के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण
1. धातु-मुद्रा – यदि मुद्रा धातु की बनी होती है, तो उसे धातु-मुद्रा या सिक्का कहते हैं । प्राचीन समय में धातु-मुद्रा विशेष रूप से चलन में थी। प्रारम्भ में प्राय: धातु के टुकडा़ें पर राजा, महाराजा या नवाब का का ठप्पा या चिन्ह अंकित कर दिया जाता था, किन्तु वर्तमान में एक निश्चित आकार-प्रकार एवं तौल वाली मुद्रा जिस पर राज्य का वैधानिक चिन्ह अंकित होता है, धातु-मुद्रा कहलाती है। धातु-मुद्रा में कौन-सी धातु कितनी मात्रा में हागेी ? यह कानून द्वारा निधार्रत किया जाता है। धातु मुद्रा दो प्रकार की होती है।
2. पत्र-मुद्रा – कागज नोटों के रूप में निर्गमित मुद्रा को ‘पत्र-मुद्रा ‘ कहा जाता है। पत्र-मुद्रा पर किसी सरकारी अधिकारी अथवा केन्द्रीय बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते है। अलग-अलग नोटों का आकार एवं रंग अलग-अलग निधार् िरत किया जाता है तथा कागज के नोटों पर नम्बर भी अंकित रहता है।
प्रादिष्ट मुद्रा इसलिए अच्छी मानी जाती है क्याेिक इसमें संकटकालीन परिस्थिति में बहुमूल्य धातुओं का कोष रखने की आवश्यकता नहीं होती है किन्तु जब सरकार इस प्रकार की पत्र-मुद्रा जारी करती है तो इससे अत्यधिक मुद्रा -प्रसार का भय बना रहता है, जिससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होती है।
4. विदेशी विनिमय के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण
5. कीमत अथवा ब्याज के आधार पर मुद्रा का वर्गीकरण
- Dr. J.C. Pant and J.P. Mishra – Economics, Sahitya Bhavan Publication, Agra.
- Dr. TT Sethi – Monetary Economics, Laxminarayan Agrawal, Agra.
- Dr. TT Sethi – Macroeconomics
- Dr. M. L. Jhingan – Monetary Economics