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व्यक्ति के शरीर में मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि व्यक्ति जो भी कार्य करता है वह अपने मस्तिष्क के संकेत पर या मन के अनुसार करता है। जब तक हमारा मन स्वस्थ नहीं रहता है, तब तक हम किसी भी कार्य को ठीक से नहीं कर सकते। जिन लोगों का मस्तिष्क स्वस्थ नहीं रहता वे जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सामना सफलतापूर्वक नहीं कर पाते, वे सदा एक प्रकार से मानसिक उलझन या परेशानी में रहते हैं। इसका कारण मानसिक दुर्बलता या किसी प्रकार का विकार होता है।
मानसिक स्वास्थ्य शब्द का जन्म येल विश्वविद्यालय के स्नातक क्लिफोर्ड बीयर्स की निजी जीवन की घटना से जुड़ा है, जब उन्होंने अपने घर की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने का असफल प्रयास किया। अपने अनुभव से उन्होंने “A Mind that found it Self ” नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक ने विभिन्न मनोवैज्ञानिकों को मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में चिंतन करने पर विवश कर दिया।
मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ
मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा
मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा अनेक परिभाषायें दी गई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख परिभाषाओं को निम्न प्रकार से बतलाया गया है:
1. हैडफील्ड के मतानुसार, ‘‘सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं सन्तुलित क्रियाशीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं।
2. क्रो व क्रो के शब्दों में, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जिसका संबंध मानव कल्याण से है और इसी से मानव संबंधों का संपूर्ण क्षेत्र प्रभावित होता है।
3. लैडेल के अनुसार, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त समायोजन करने की योग्यता’’।
4. के.ए.मेनिंगर के शब्दों में, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य, मनुष्यों का आपस में तथा मानव जगत के साथ समायोजन है’’।
5. आर.सी.कुल्हन के मतानुसार, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य एक उत्तम समायोजन है जो भग्नाशा से उत्पन्न तनाव को कम करता है तथा भग्नाशा को उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में रचनात्मक परिवर्तन करता है’’।
6. कुप्पूस्वामी के शब्दों में, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं एवं आदर्शों में संतुलन बनाए रखने की योग्यता है। इसका अर्थ जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने तथा उनको स्वीकार करने की योग्यता है’’।
7. ल्यूकेन – ‘‘मानसिक रूप से स्वास्थ्य व्यक्ति वह है जो स्वयं सुखी है, अपने पड़ौस में शांति के साथ रहता है, अपने बालकों को स्वस्थ नागरिक बनाता है तथा इन मूलभूत कर्त्तव्यों को करने के पश्चात भी जिसमें इतनी शक्ति बच जाती है कि वह समाज के हितार्थ कुछ कर सके’’।
8. हेडफील्ड – साधरण शब्दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण सामंजस्य के साथ कार्य करना है।
9. लैडेल – मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है-वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त सामंजस्य करने की योग्यता।
10. कुप्पूस्वामी -मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है-दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं, आदर्शों में सन्तुलन रखने की योग्यता। इसका अर्थ है-जीवन की वास्तविकताओं को सामना करने और उनको स्वीकार करने की योग्यता।
1. हैडफील्ड के मतानुसार, ‘‘सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं सन्तुलित क्रियाशीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं।
2. क्रो व क्रो के शब्दों में, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जिसका संबंध मानव कल्याण से है और इसी से मानव संबंधों का संपूर्ण क्षेत्र प्रभावित होता है।
3. लैडेल के अनुसार, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त समायोजन करने की योग्यता’’।
6. कुप्पूस्वामी के शब्दों में, ‘‘मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं एवं आदर्शों में संतुलन बनाए रखने की योग्यता है। इसका अर्थ जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने तथा उनको स्वीकार करने की योग्यता है’’।
7. ल्यूकेन – ‘‘मानसिक रूप से स्वास्थ्य व्यक्ति वह है जो स्वयं सुखी है, अपने पड़ौस में शांति के साथ रहता है, अपने बालकों को स्वस्थ नागरिक बनाता है तथा इन मूलभूत कर्त्तव्यों को करने के पश्चात भी जिसमें इतनी शक्ति बच जाती है कि वह समाज के हितार्थ कुछ कर सके’’।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण होते हैं-
- आत्म विश्वास व आत्म सम्मान की भावना।
- विचार करने की पूर्ण क्षमता।
- बुद्धि व विवेक के द्वारा निर्णय लेने की पूर्ण क्षमता।
- धैर्य व उत्साह का बना रहना।
- अपनी कमियों का ज्ञान तथा स्वीकृति।
- अपनी शक्ति व योग्यता का सही ज्ञान।
- दूसरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव।
- अनुभव से सीखने की क्षमता।
- मन में सदैव प्रसन्नता व प्रफुल्लता का अनुभव करना।
मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
मानसिक स्वास्थ्य मन से जुड़ी हुई गतिविधियों संबंधित है। मनुष्य एवं अन्य प्राणियों में विचार करने की योग्यता का फर्क है। मनुष्य विचार कर सकता है, चिंतन कर सकता है, घटनाओं का विश्लेषण कर सकता है। वहीं अन्य प्राणी ऐसा उसके समान नहीं कर सकते। उपयुक्त चिंतन, विचार एवं विश्लेषण के बल पर मनुष्य शोध अनुसंधान की योजनायें बना सकता है अपने जीवने को बेहतर बनाने सुविधापूर्ण बनाने की व्यवस्थायें जुटा सकता है। आधुनिक जीवन में जो सुख एवं आराम के संरजाम मनुष्य ने जुटायें हैं वे सभी उसकी विचार, चिंतन एवं विश्लेषण की क्षमता का ही परिणाम हैं। परन्तु यह तीनों प्रकार की क्षमतायें व्यक्ति की मानसिक प्रक्रियाओं से जुड़ी हुई हैं। अवधान, प्रत्यक्षण, अधिगम, स्मृति, अभिप्रेरण, बुद्धि आदि मानसिक क्रियायें हैं एवं इन क्रियायों का सुचारू रूप से जारी रहना एवं उन्नत होना न केवल व्यक्ति के शारीरिक विकास एवं स्वास्थ्य से संबंधित है अपितु उसका शारीरिक विकास एवं उन्नत स्वास्थ्य होने के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति से कहीं अधिक सीधा एवं घनिष्ठ संबंध है।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक
1. शारीरिक स्वास्थ्य
व्यक्ति की शारीरिक स्थिति क उसके मानसिक स्वास्थ्य के साथ सीधा संबंध होता है। दूसरें शब्दों में शारीरिक स्वास्थ्य व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। हम सभी जानते हैं कि जब हम शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं तब हम प्राय: सभी समय एक आनन्द के भाव का अनुभव करते रहते हैं एवं हमारी ऊर्जा का स्तर हमेशा ऊॅंचे स्तर का बना रहता है। जब कभी हम बीमार पड़ते हैं या शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं उसका प्रभाव हमारी मानसिक प्रसन्नता पर भी पड़ता है हम पूर्व के समान आनंदित नहीं रहते तथा हमारी ऊर्जा का स्तर भी निम्न हो जाता है।
कहने का अभिप्राय यह है कि हमारे शरीर एवं मन के बीच, हमारी शारीरिक स्वस्थता एवं मानसिक स्वस्थता के बीच परस्पर अन्योनाश्रित संबंध हैं। एक की स्थिति में बदलाव होने पर दूसरे में स्वत: ही परिवर्तन हो जाता हैं उदाहरण के लिए कैंसर के रोगियों में निराशा, चिंता एवं अवसाद सामान्य रूप में पाये जाते हैं। वहीं चिंता एवं अवसाद से ग्रस्त रोगियों को कई प्रकार की शारीरिक बीमारियॉं हो जाती हैं।
2. प्राथमिक आवश्यकताओं की संतुष्टि
आवश्यकताओं की संपुष्टि भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है। आवश्यकतायें कई प्रकार की होती हैं जैसे कि शारीरिक आवश्यकता, सांवेगिक आवश्यकता, मानसिक आवश्यकता आदि। इन सभी प्रकार की आवश्यकताओं में प्राथमिक आवश्कताओं की संतुष्टि का स्तर मानसिक स्वास्थ्य को सर्वाधिक प्रभावित करता है। प्राथमिक आवश्यकताओं में भूख, प्यास, नींद, यौन आदि आते हैं। इसके अलावा शारीरिक सुरक्षा के लिए घर आदि की जरूरत को भी प्राथमिक आवश्यकताओं में ही गिना जाता है।
इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने का लक्ष्य सदैव मनुष्य के सम्मुख उसके लिए अस्तित्वपरक चुनौति खड़ी करता रहा है। जब तक इन आवश्यकताओं की पूर्ति सहज रूप में होती रहती है तब तक व्यक्ति मानसिक रूप से उद्विग्न नहीं होता है परंतु जब इन आवश्यकताओं की पूर्ति में जब बाधा उत्पन्न होती है तब व्यक्ति में तनाव उत्पन्न हो जाता है। जिसके विभिन्न संज्ञानात्मक, सांवेगिक, अभिप्रेरणात्मक, व्यवहारात्मक आदि परिणाम होते हैं। इन परिणामों के फलस्वरूप व्यक्ति में चिंता, अवसाद आदि विभिन्न प्रकार की मनोविकृतियॉं जन्म ले लेती हैं।
3. मनोवृत्ति
मनोवैज्ञानिकों ने मनोवृत्ति को भी मानसिक स्वास्थ्य के उन्नति या अवनति में परिवर्तन करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक माना है। व्यक्ति की मनोवृत्ति उसके मानसिक रूप से प्रसन्न रहने अथवा न रहने का निर्धारण करती है। यह मनोवृत्ति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। पहली धनात्मक मनोवृत्ति एवं दूसरी नकारात्मक मनोवृत्ति। धनात्मक मनोवृत्ति को सकारात्मक मनोवृत्ति भी कहा जाता है। सकारात्मक मनोवृत्ति का संबंध जीवन की वास्तविकताओं से होने के कारण इसे वास्तविक मनोवृत्ति की संज्ञा भी दी जाती है।
यदि व्यक्ति में किसी कारण से वास्तविकता से हटकर काल्पनिक दुनिया में विचरण करने की आदत बन जाती है तो ऐसे व्यक्तियों में घटनाओं, वस्तुओं एवं व्यक्तियों के प्रति एक तरह का अवास्तविक मनोवृत्ति विकसित हो जाती है। अवास्तविक मनोवृत्ति के विकसित हो जाने से उनमें आवेगशीलता, सांवेगिक अनियंत्रण, चिड़चिड़ापन आदि के लक्षण विकसित हो जाते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य धीरे धीरे खराब हो जाता है।
4. सामाजिक वातावरण
सामाजिक वातावरण को भी मनोवैज्ञानिकों ने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक मजबूत कारण माना है। व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है। फलत: समाज में होने वाली अच्छी बुरी घटनाओं से वह प्रभावित होता रहता है। जब व्यक्ति समाज में एक ऐसे वातावरण में वास करता है जो कि अपने घटकों को उन्नति एवं विकास में सहायक होता है तथा समूह के सदस्यों को भी समाज अपनी उन्नति एवं विकास में योगदान देने का समुचित अवसर प्रदान करता है तो वह व्यक्ति स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्ति को कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होता है। वह अपने आप को समाज का एक स्वीकृत सदस्य के रूप में देखता है जिसके अन्य सदस्य उसके भावों का आदर करते हैं। वह स्वयं भी समाज के अन्य सदस्यों के भावों का आदर करता है।
ऐसे सामाजिक वातावरण में निवास करने वाले व्यक्ति मानसिक रूप से अत्यंत स्वस्थ रहते हैं। तथा इनकी सामाजिक प्रसन्नता अनुभूति काफी बढ़ी चढ़ी रहती है। वहीं दूसरी ओर जब व्यक्ति इसके विपरीत प्रकार के समाज में निवास करता है जो कि उसकी उन्नति एवं विकास में सहायक हेाने के बजाय उसके उन्नति एवं विकास के मार्ग को अवरूद्ध ही कर देता है तो व्यक्ति की अपने अंदर छिपी असीम संभावनाओं को विकसित एवं अभिव्यक्त करने की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है। परिणामस्वरूप ऐसा व्यक्ति को अपनी इच्छाओं का दमन करना पड़ता है एवं कालान्तर में ऐसे व्यक्ति मानसिक रूग्णता का शिकार हो जाते हैं।
5. मनोरंजन की सुविधा
मनोवैज्ञानिकों ने मनोरंजन की उपलब्धता को भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले एक प्रमुख कारक के रूप में मान्यता प्रदान की है। उनके अनुसार जिस व्यक्ति को जीवन में मनोरंजन करने के साधन या सुविधायें उपलब्ध होती हैं उस प्रकार के व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। उनके अनुसार मनोरंजन के साघन अपने प्रभाव से व्यक्ति के मन को प्रसन्नता, एवं आह्लाद से भर देते हैं फलत: उसमें एक प्रकार की नवीन प्रफुल्लता जन्म लेती है जो कि उसके मस्तिष्क एवं मन को नवीन ऊर्जा से ओतप्रोत कर देती है। तंत्रिका मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इससे स्नायुसंस्थान को सकारात्मक स्फुरणा प्राप्त होती है फलत: उसकी सक्रियता बढ़ जाती है। स्मृति आदि विभिन्न मानसिक प्रक्रियायें सुचारू रूप से कार्य करती हैं फलत: व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता हैं। परन्तु यदि किसी कारण से किसी व्यक्ति को उसकी इच्छानुसार पर्याप्त मनोरंजन नहीं मिल पाता है तो उससे इनमें मानसिक घुटन उत्पन्न हो जाती है जो धीरे-धीरे उनके मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर करती जाती है।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले बहुत से कारक हैं। इन कारकों को नियंत्रित करके मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाया जा सकता है।
उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले बहुत से कारक हैं। इन कारकों को नियंत्रित करके मानसिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाया जा सकता है।