आरम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई। आगे की शिक्षा के लिए इनके पिताजी ने इन्हें क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल ‘लूथर्न मिशन’ तिरुपति में दाखिल करा दिया। स्कूल के दिनों से ही इनकी प्रतिभा सामने आने लगी थी। स्कूल के दिनों में ही उन्हानें बाइबिल के महत्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे, जिसके लिए उन्हें विशेष योग्यता सम्मान भी प्राप्त हुआ। सन् 1900 में उन्हानें वेल्लरू के काॅलिन में प्रवेश लिया। तत्पश्चात् मद्रास के क्रिश्चियन कालेज से आगे की शिक्षा प्राप्त की। 1904 में उन्हानें कला वर्ग में मनोविज्ञान, इतिहास और गणित विषय में स्नातक की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। 1906 में उन्हानें दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया।
1909 में उन्हें 20 वर्ष की आयु में मद्रास प्रेसीडेंसी काॅलिज में दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक बना दिया गया। इसके बाद तो लगभग 50 वर्षों तक वे देश-विदेश के अलग-अलग संस्थानों में प्रोफेसर, प्राचार्य, उपकुलपति, कुलपति के रूप में नियुक्त होते रहे और आगे बढ़ते रहे। 1918 में उन्हें मैसूर यूनिवर्सिटी द्वारा दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया। 1931 से 1936 तक वे आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रहे। 1936 में उन्हानें आक्ॅसफोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के प्रोफसे र के रूप में कार्यभार सँभाला।
13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक उन्होंने देश के उपराष्ट्रपति के रूप में बखूबी कार्य किया।
13 मई 1962 को ही वे देश के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। उनका कार्यकाल चुनौतियों से भरा था। उनके कार्यकाल में भारत और चीन के साथ युद्ध हुए जिसमें चीन के साथ भारत को हार का सामना करना पड़ा। वे इकलौते ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने दो प्रधानमंत्रियों की मौत देखी, दो युद्ध देखे और दो कार्यवाहक प्रधानमंत्रियों को शपथ दिलाई। बतौर राष्ट्रपति वे हेलीकाॅप्टर से अमरीका के व्हाइट हाउस पहुँचे। सितम्बर 1957 में उन्हानें तीन देशों की यात्रा की।
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पुस्तकें
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अनेक पुस्तकें लिखीं। ज्यादातर डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पुस्तकें अंग्रेजी में है। सन् 1926 में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से उनकी एक चर्चित पुस्तक आई- ‘दि हिन्दू व्यू आफ लाइफ’। 1929 में दूसरी पुस्तक आई- ‘ऐन आइडियलिस्ट व्यू आफ लाइफ’। उनकी अन्य पुस्तकें हैं: गौतमबुद्ध: जीवन और दर्शन, धर्म और समाज, भारत और विश्व, दि एथिक्स आफ वेदान्त, द फिलोसफी आफ रवीन्द्रनाथ टैगोर, माई सर्च फाॅर ट्रुथ, द रेन आफ कंटम्परेरी फिलाॅसफी, रिलीजन एंड सोसायटी, इण्डियन सोसायटी, द ऐसेंसियल आफ सायकाॅलोजी।
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान व पुरस्कार
समय-समय पर देश-विदेश में उन्हें सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनका विवरण इस प्रकार है-
- 1913 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की।
- 1963 में इंग्लैण्ड सरकार द्वारा उन्हें ‘आर्डर आफ मैरिट’ का सम्मान प्राप्त हुआ।
- 1954 में जर्मन में कला और विज्ञान के विशेषज्ञ के रूप में पुरस्कृत किया गया।
- 1961 में जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ।
- 1975 में अमेरिकी सरकार द्वारा उन्हें टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वे पहले गैर ईसाई व्यक्ति थे
