अनुक्रम
कृषि विस्तार को सामान्यत: ऐसी प्रक्रिया और प्रणाली के रूप में किया जाता है जिसमें कृषि पद्धतियों से संबंधित सूचना, ज्ञान और कौशल उनके ग्राहकों को विभिन्न चैनलों के माध्यम से संप्रेषित किए जाते हैं। कृषि विस्तार ज्ञान का निर्माण और प्रसार करने में और सक्षम निर्णयकर्ता बनने के लिए कृषकों को शिक्षा प्रदान करने में सामान्यतया ‘केन्द्र बिंदु’ माना जाता है।
ऐतिहासिक रूप से, ग्रामीण लोगों के लिए विस्तार का अर्थ है कृषि और गृह-अर्थव्यवस्था में शिक्षा। यह शिक्षा व्यावहारिक है जिसका लक्ष्य फार्म और घर में सुधार लाना है।
कृषि विस्तार की परिभाषा
एसमिंजर (1957) के अनुसार, विस्तार शिक्षा है और इसका उद्देश्य उन लोगों की अभिवृत्तियों और क्रियाकलापों में परिवर्तन लाना है जिनके साथ कार्य किया जाना है। लीगंस (1961) ने विस्तार शिक्षा की परिकल्पना ऐसे अनुप्रयुक्त विज्ञान के रूप में की है जिसमें अनुसंधान, संचित क्षेत्रीय अनुभावों से ली गई विषयवस्तु तथा वयस्कों और युवाओं के लिए विद्यालय से बाहर शिक्षा की समस्याओं पर केन्द्रित हानि, सिद्धांतों, विषयवस्तु और पद्धतियों के एक निकाय में उपयोगी प्रौद्योगिकी के साथ संश्लिष्ट व्यवहारात्मक विज्ञान से लिए गए प्रासंगिक सिद्धांत अंतर्निहित होते हैं।
क्षेत्र में कार्य करने के अलावा विस्तार औपचारिक रूप से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप डिग्रियां प्रदान की जाती हैं। विस्तार में शोध भी किया जाता है। विस्तार के संबंध में जो बात अनोखी है, वह ग्रामीण समुदाय के सामाजिक-आर्थिक रूपांतरण में इस विषय की जानकारी का प्रयोग करना है। इस संदर्भ में, विस्तार को लोगों के जीवन की गुणवत्ता में संपोषणीय सुधार लाने के लिए उनकी क्षमताओं के विकास के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विस्तार का मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन विकास है।
विस्तार की अवधारणा बुनियादी आधार-वाक्यों पर आधारित है:-
- लोगों के पास वैयक्तिक वृद्धि और विकास के लिए असीमित क्षमता है।
- यदि उन्हें पर्याप्त और उपयुक्त शिक्षण अवसर प्रदान किए जाएं तो उनके जीवन की किसी भी अवस्था में विकास हो सकता है।
- वयस्क लोग केवल सीखने के लिए ही सीखने की रूचि नहीं रखते हैं। वे उस समय प्रेरित होते हैं जब नवीन शिक्षण उन्हें अनुप्रयोग के लिए, वर्धित उत्पादकता के लिए और संवर्धित जीवन स्तरों के लिए अवसर उपलब्ध कराता है।
- ऐसा शिक्षण ग्रामीण जनसंख्या का एक सतत स्तर है तथा इसे अनवरत आधार पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए क्योंकि उत्पादन और जीवनयान की समस्याएं तथा प्रौद्योगिकियां निरंतर बदल रही हैं।
- अपेक्षित ज्ञान और कौशलों को ध्यान में रखते हुए, लोग अपने वैयक्तिक और सामाजिक लाभों के लिए इष्टतम विकल्प प्रस्तुत करने में समर्थ है।
कृषि विस्तार के उद्देश्य
- लोगों की समस्याओं का पता लगाने और उनका विश्लेषण करने तथा उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं का पता लगाने के लिए उनकी सहायता करना।
- लोगों के मध्य नेतृत्व का विकास करना तथा उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए समूहों का संगठन करना।
- आर्थिक और व्यावहारिक शोध जानकारी का इस प्रकार से प्रचार करना कि लोग उन्हें समझ सकें और प्रयोग कर सकें।
- लोगों को उन संसाधनों को जुटाने और उनका प्रयोग करने में सहायता करना जो उनके पास हैं तथा जो उन्हें बाहर से चाहिए।
- प्रबंधन समस्याओं का समाधान करने के लिए फीडबैक जानकारी संग्रहित और संप्रेषित करना।
कृषि विस्तार के कार्य
ज्ञान में परिवर्तन: का अर्थ है उस बात में परिवर्तन जो लोग जानते हैं। उदाहरण के लिए, जो किसान एचवाईवी फसल के बारे में नहीं जानते हैं, वे विस्तार कार्यक्रमों में भाग लेने के माध्यम से इसके बारे में जान जाते हैं। विस्तार अभिकर्ता (ईए) जो सूचना प्रौद्योगिकी को नहीं जानते हैं, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग लेने के पश्चात इनके विषय में जान जाते हैं।
कौशल में परिवर्तन: कार्य को करने की तकनीक में परिवर्तन है। किसानों ने एचवाईवी फसल को उगाने की तकनीक सीखी, जिसे वे पहले नहीं जानते थे। ईए ने आईटी को प्रयोग करने का कौशल सीखा। अभिवृत्ति में परिवर्तन में कतिपय बातों के प्रति भावना या प्रतिक्रिया परिवर्तन शामिल है। किसानों ने एचवाईवी फसल के प्रति एक अनुकूल अभिवृत्ति विकसित की। ईए ने विस्तार कार्यक्रम में इसके प्रयोग के बारे में अनुकूल भावना विकसित की।
समझ में परिवर्तन का अर्थ है बोध में परिवर्तन। किसानों ने विद्यमान फसलों की किस्मों की तुलना में अपने कृषि प्रणाली में एचवाईवी फसल के महत्व तथा उस परिमाण को महसूस किया जिस तक यह उनके लिए आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद तथा वांछनीय है। ईए ने आईटी के प्रयोग को तथा उस परिमाण को समझा जिस तक यह विस्तार कार्य को और अधिक प्रभावी बनाती है।
लक्ष्य में परिवर्तन किसी निश्चित दिशा में वह दूरी है जिसे निर्धारित समयावधि के भीतर किसी व्यक्ति के द्वारा तय किया जाता है। यह वह परिमाण है, जिस तक कृषकों ने फसल उत्पादन में अपने लक्ष्य को पर उठाया है, अर्थात् एचवाईवी फसल की पैदावार करके किसी मौसम विशेष में फसल की पैदावार प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल बढ़ाना। ईए ने सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके एक निश्चित अवधि के भीतर किसानों द्वारा अपनाई गई संवर्धित प्रक्रिया हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
कार्रवाई में परिवर्तन का अर्थ है निष्पादन या चीजों को करने में परिवर्तन। जिन किसानों ने पहले एचवाईवी फसल नहीं उगाई, उन्होंने अब उसे उगाया। जिन ईए ने पहले इनका प्रयोग अपने विस्तार कार्यक्रमों में नहीं किया, उन्होंने इसका प्रयोग आरंभ कर दिया।
आत्मविश्वास में परिवर्तन में आत्मनिर्भरता शामिल है। किसानों ने यह निश्चित कर लिया कि उनमें फसल की पैदावार बढ़ाने की योग्यता है। ईए ने बेहतर विस्तार कार्य करने के लिए अपनी योग्यता में आस्था विकसित कर ली। आत्मविश्वास अथवा आत्मनिर्भरता का विकास हमारी प्रगति के लिए ठोस आधार है।
व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन लाना विस्तार का महत्वपूण्ूर्ण कार्य है: इस प्रयोजनार्थ, विस्तार कार्मिक विस्तार कार्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर नई जानकारी की तलाश करेंगे। किसान और गृहणियां भी अपनी स्वयं की पहल से निरंतर अपने खेत तथा घर में सुधार लाने के तरीके ढूंढ़ती हैं। यह कार्य कठिन है क्योंकि लाखों किसान परिवार कम शिक्षित होने के साथ-साथ अपनी-अपनी आस्थाओं, मूल्यों, अभिवृत्तियों और बाधाओं के साथ विशाल क्षेत्र में फैले हुए हैं तथा विविध उद्यमों में कार्यरत हैं।
कृषि विस्तार के सिद्धांत
सिद्धांत सामान्य दिशा-निर्देश हैं, जो एक सुसंगत प्रकार से निर्णय और कार्रवाई का आधार निर्मित करते हैं। विस्तार में सार्वभौमिक सत्य प्रस्तुत किया जाता है जिसे विभिन्न विविध स्थितियों और परिस्थितियों के अंतर्गत बेहतर पाया गया है।