कवि या रचनाकार जिस मंजिल से गुजरता है अर्थात् जो वह जीवन में भोगता है उसे वर्णित करता जाता है, वही कविता है ।
कविता की परिभाषा
महावीरप्रसाद द्विवेदी के अनुसार :– “कविता का विषय मनोरंजन एवं उपदेश जनक होना चाहिए।”
डॉ. नगेन्द्र के अनुसार – “छंदमयी की कविताओं का विषय वैयक्तिक जीवन की राग-विरागमयी,
अनुभूतियों तक सीमित रहा । “
रघुवीर सहाय :- “विचार वस्तु का कविता में खुन की तरह दौड़ते रहना कविता जो जीवन और शक्ति देता है और यह तभी संभव है जब हमारी कविता की जड़ें यथार्थ में हो ।