अनुक्रम
करापात का अर्थ
करापात से अभिप्राय व्यक्ति पर पड़ने वाले उस अन्तिम कर के मौद्रिक भार से है जिससे वह अन्तत: वहन करता है। जब भी कर का अन्तिम बोझ किसी कर दाता पर अन्तिम रूप से पड़ता है तो उसे करापात कहा जाता है। मान लीजिए सरकार चीनी पर कर लगाती है और चीनी के उत्पादकों से कर राशि प्राप्त करती है। इस प्रकार का मौद्रिक भार प्रत्यक्षत: चीनी के उत्पादको पर पड़ता है। अब यदि उत्पादक कर का मौद्रिक भार किसी अन्य व्यक्ति पर माना थोक विक्रेता पर चीनी की कीमतों में वृद्धि करके डालता है और विवर्तन की यह प्रक्रिया थोक विक्रेता से अन्तिम उपभोक्ता तक जारी रहती है जो करापात उस उपभोक्ता पर पडेगा जो अन्तिम दषा में मौद्रिक भार उठायेगा। इसे परोक्ष मौद्रिक भार कहा जाता है।
करापात की परिभाषा
मसग्रेव के अनुसार : ‘‘करभार शब्द, जिसका साधारणत: प्रयोग किया जाता है, कर के अन्तिम या प्रत्यक्ष मौद्रिक भार के स्थान से सम्बन्धित होता है।’’
वान मेरिंग के अनुसार : ‘‘कर भार वह बिन्दु है जहाँ पर कर का अन्तिम भार पड़ता है।’’
करापात के प्रकार
प्रो. मसग्रेव के अनुसार करापात तीन प्रकार का है:
- विषेश करापात: जब कोई कर सरकारी खाते के व्यय पक्ष में बिना किसी परिवर्तन से लगाया जाता है।
- विभेदी करापात: जब कोई कर किसी अन्य कर के विकल्प के रूप में लगाया जाता है।
- संतुलित बजट करापात: जब कर की आय से सरकार अपने व्यय में वृद्धि करती है।
करापात के रूप
सामान्यत: करापात को इन रूपों में देखा जा सकता है।
करापात एवं कराघात में अन्तर
करापात की अवधारणा एवं इसके विभिन्न रूपों को आप भलीभांति समझ गये होंगे। इसके बाद आपको यह समझना भी अत्यन्त आवश्यक होगा कि करापात तथा कराघात के बीच पाया जाने वाला मूलभूत अन्तर क्या होता है? ताकि किसी भी प्रकार के भ्रम को दूर किया जा सके। करापात एवं कराघात में अन्तर को इस रूप में स्पष्ट किया जा सकता है।
- कराघात का सम्बन्ध उस व्यक्ति या आर्थिक इकाई से होता है जो कर को सरकार के कोष में जमा करता है। इस व्यक्ति की यह पूर्ण जिम्मेदारी होती है कि सरकार द्वारा जो धनराशि कर के रूप में जमा करने को कहा गया है वह उसे नियमित रूप से सरकाकर को जमा करे। यह व्यक्ति कर को जमा करने से अस्वीकृति नहीं दे सकता है और न ही अपनी असक्षमता को प्रकट कर सकता है। अर्थात् जिस व्यक्ति पर कर लगाया जाता है उस पर पड़ने वाले दायित्व को कराघात के रूप में कहा जाता है। कराघात का सम्बन्ध उस व्यक्ति से है जो सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर को अन्तिम रूप से वहन करता है तथा उससे अनिवार्य रूप से वसूल लिया जाता है। चाहे वह स्वयं कर को जमा करे या दूसरा व्यक्ति। करों की प्रकृति के अनुसार करापात की देयता का निर्धारण तय किया जाता है।
- कराघात का सम्बन्ध सरकार द्वारा वसूले जाने वाले उस भार से है जो मौद्रिक रूप में होता है जबकि करापात का सम्बन्ध मौद्रिक होने के साथ गैर-मौद्रिक होता है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कर को वहन करने वाले को सहना होता है।
- सामान्य रूप से कहा जा तो यह अत्यन्त आसान एवं सरल होगा कि करकाघात कर प्रणाली का प्रारम्भिक भाग है तो करापात कर प्रणाली का अन्तिम चरण होता है।
- कराघात के बाद कर के भार का विवर्तन संभव होता है जबकि करापात स्वत: ही कर का विवर्तित रूप होता है।
- सरकार को यह मालूम हो कि कर का विवर्तन किस दिशा में होगा तब ऐसी स्थिति में कराघात को कर प्रणाली का एक भाग माना जायेगा क्योंकि करारोपण के बिना कर का संग्रहण सम्भव नहीं हो सकता है। इसी क्रम में करापात सरकाकर की कर प्रणाली का उद्देश्य होता है जिससे सरकारी क्रियाकलापों का क्रियान्वयन एवं वित्तीय व्यवस्था प्रभावित होती है।
- कराघात की एक वैधानिक अवधारणा है तथा कर देने वाले व्यक्ति या इकाई सरकार के प्रति जबावदेय होती है जबकि करापात का सम्बन्ध व्यक्तिगत रूप से होता है इसकाक सम्बन्ध सरकार के प्रति जबावदेयता से नहीं है।
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