अनुक्रम
उत्तर दक्षिण संवाद क्या है?
उत्तर दक्षिण संवाद के प्रयास
- 1975 की पेरिस वार्ता
- ब्राटआयोग
- संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा का विशेष सत्र
- कानकुन सम्मेलन
- न्यूयार्क सम्मेलन
- गैट समझौता तथा विश्व व्यापार संगठन
- पृथ्वी सम्मेलन
1. 1975 की पेरिस वार्ता
संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की घोषणा के बाद यह पहला प्रयास था जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग में वृद्धि करना था, दिसम्बर, 1975 में विकसित तथा विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग में वृद्धि करना था, दिसम्बर, 1975 में विकसित तथा विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के मुद्दे पर 8 विकसित तथा 19 विकासशील देशों ने भाग लिया। इस सम्मेलन के आयोजन का श्रेय अमरीकी विदेश सचिव डॉ. हेनरी किसिंजार को जाता है इस सम्मेलन को ‘अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है। यह सम्मेलन 18 महीने तक चला और समाप्त 1977 में हुआ। इसमें उत्तर के विकसित देशों ने दक्षिण के देशों के लिए कुछ सहायता कार्यक्रमों की घोषणा की जिनमें गरीब देशों का बढ़ता तेल घाटा तथा जिस मूल्यों को स्थिर करने के लिए गरीब देशों की सहायता के लिए एक विशेष कोष की स्थापना की बात स्वीकारी गई।
2. ब्राटआयोग
अंतर्राष्ट्रीय विकास मुद्दों से निपटने के लिए 1977 में एक गैर सरकारी स्वतन्त्र आयोग स्थापित किया गया जिसे ब्रांट आयोग के नाम से जाना जाता है। इस आयोग के अध्यक्ष जर्मनी के भूतपूर्व चांसलर विलीब्रान्ट थे। इसमें सभी विश्व के देशों से सदस्य थे। भारत के अर्थशास्त्री डॉ. एल.के. झा भी इस आयोग में थे। इसकी प्रथम बैठक दिसम्बर 1977 में बोन में हुई। इस आयोग ने सामाजिक विकास समस्याओं के बारे में अपनी दो रिपोर्ट – ‘नॉर्थ-साउथ : ए प्रोग्राम फॉर सर्वाइवल’ तथा -कॉमन क्राइसिस’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि विश्व शान्ति व सहयोग के लिए उत्तर-दक्षिण में पारस्परिक निर्भरता आवश्यक है। इस आयोग ने विश्व नेताओं की एक बैठक बुलाने का सुझाव दिया ताकि विकसित व विकासशील देशों के बीच अन्तर के प्रमुख विषयों (व्यापार, सहायता, सुरक्षा, तकनीकी, आदान-प्रदान विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) पर बातचीत हो सके।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा का विशेष सत्र
महासभा ने 25 अगस्त, 1980 को विकसित व विकासशील देशों के बीच आर्थिक सम्बन्धों के बारे में विचार करने के लिए एक बैठक बुलाया। इसमें विकासशील देशों ने अधिक आर्थिक सहायता, अधिक स्वतन्त्र व्यापार कच्चे माल की स्थिर कीमतें की मांग विकसित देशों के सामने रखी। लेकिन विकसित देशों ने इसे इंकार कर दिया। केवल इस बैठक में 9 महीने बाद होने वाली समझौता वार्ता के लिए आधार प्रस्तुत कर दिया, अत: उत्तर-दक्षिण संवाद का यह प्रयास विकसित देशों की नकारात्मक भूमिका के कारण असफल रहा।
4. कानकुन सम्मेलन
इसमें 14 विकासशील तथा 8 विकसित देशों कुल 22 देश ने भाग लिया। इसमें 23 देशों को निमंत्रण भेजे गए थे, लेकिन सोवियत संघ ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका के कारण क्यूबा को इसमें नहीं बुलाया गया। यह सम्मेलन मैक्सिको के कानकुन शहर में अक्तूबर, 1981 में हुआ। इसका उद्देश्य उत्तर-दक्षिण संवाद की प्रगति को जांचना था। इस सम्मेलन के अन्त में नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना व उत्तर-दक्षिण संवाद को आगे बढ़ाने पर कोई सहमति नहीं हुई। विकसित देशों के नकारात्मक व्यवहार के कारण यह सम्मेलन असफल रहा।
5. न्यूयार्क सम्मेलन
अंकटाड के तत्वावधान में 1983 में आयोजित इस सम्मेलन में विश्व के अनेक नेता एकत्रित हुए। इस सम्मेलन का आयोजन अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। भारतीय प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें उत्तर-दक्षिण संवाद को विकसित करने पर बल दिया गया। अमेरिका की हठधर्मिता के कारण इस सम्मेलन में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका और यह भी असफल हो गया।
6. गैट समझौता तथा विश्व व्यापार संगठन
इस सामान्य समझौते को GATT कहा जाता है। इसका अर्थ है – व्यापार और प्रशुल्क पर सामान्य समझौता। इस समझौते की स्थापना का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करके लाभकारी लक्ष्यों को प्राप्त करना था।
7. पृथ्वी सम्मेलन
प्रथम पृथ्वी सम्मेलन रियो दि जेनेरो (ब्राजील) में 3 से 14 जून, 1992 तक आयोजित हुआ। प्रथम पृथ्वी सम्मेलन जून 1992 में तथा दूसरा जून, 1997 में हुआ। इनका उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दों पर विचार करना था। इसमें विकसित व विकासशील देशों ने पर्यावरण प्रदूषण के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाए। विकसित देशों ने कहा कि विकासशील देशों की जनसंख्या विस्फोट की स्थिति के कारण व गरीबी के कारण यह हुआ है। ये देश घने जंगलों का सफाया कर रहे हैं और पर्यावरण संतुलन को खराब कर रहे हैं।