शिक्षा का अर्थ

शिक्षा का अर्थ

संकुचित अर्थ में शिक्षा योजनाबद्ध रूप में निर्धारित कर दी जाती है । ऐसी शिक्षा का रूप औपचारिक होता है अर्थात वह एक निश्चित स्थान पर विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में दी जाती है तथा उसकी एक निश्चित अवधि, निश्चित पाठ्यक्रम तथा निश्चित योग्यता वाले शिक्षक होते हैं । इस संकुचित अर्थ में शिक्षा विद्यालय में बालक के प्रवेश होने से प्रारम्भ होता है तथा शिक्षा संस्था को छोड़ने पर उसकी समाप्ति मानी जाती है ।

टी. रेमंट (T. Raymont) के शब्दों में – “शिक्षा से हम उन विशेष प्रभावों को समझते हैं जिनको समाज का वयस्क वर्ग जान बूझकर निश्चित योजना द्वारा अपने से छोटों तथा तरूण वर्ग पर डालता है ।”
मिल के शब्दों में – “शिक्षा द्वारा एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों में संस्कृति का संक्रमण करते हैं ताकि वे उसका संरक्षण कर सकें और यदि संभव हो तो उसमें उन्नति भी कर सकें ।”
“The culture which each generation purposefully gives to those who are to be its successors in order to quality them for at last keeping up and if possible for raising the level of improvement which has been attained.”-John Stuarat Mill
एस. एस. मैकेन्जी (S. S. Mackenge) के अनुसार – ‘संकुचित अर्थ में किसी भी ऐसे सचेतन प्रयास को शिक्षा कहा जा सकता है जो हमारी क्षमताओं का विकास एवं वृद्धि करे ”
(In Narrower sense Education may be taken to mean any consciously directed effort to develop and cultivate our powers.)
डीवर – “शिक्षा एक प्रक्रिया है, जिसमें तथा जिसके द्वारा बालक के ज्ञान, चरित्र तथा व्यवहार को एक विशेष साँचे में ढाला जाता है ।”
(Education is the process in which and by which knowledge, character and behaviour of the young are shaped and moulded.)

शिक्षा का व्यापक अर्थ

व्यापक दृष्टि में शिक्षा का अर्थ बालक के उन सभी अनुभवों से है जिसका प्रभाव उसके ऊपर जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक पड़ता है । अर्थात् शिक्षा वह अनियन्त्रित वातावरण है। जिसमें रहते हुए बालक अपनी प्रकृति के अनुसार स्वतन्त्रता पूर्वक नाना प्रकार के अनुभव प्राप्त करता है तथा विकसित होता है । शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है । ऐसी शिक्षा किसी विशेष व्यक्ति, समय, स्थान अथवा देश तक सीमित नहीं रहती अपितु जिन व्यक्तियों के सम्पर्क में आकर बालक जो कुछ भी सीखता है वे सभी उसके शिक्षक हैं, जिन्हें वह सिखाता है। वे सब उसके शिष्य हैं तथा जिस स्थान पर सीखने एवं सिखाने का कार्य चलता है वह विद्यालय है । शिक्षा बालक के प्राकृतिक विकास की प्रक्रिया है ।
जॉन स्टुअर्ट मिल के शब्दों में – “विस्तृत या व्यापक अर्थ में शिक्षा चरित्र और मानवीय क्षमताओं पर उन बातों द्वारा पड़े हुए अप्रत्यक्ष प्रभावों का भी बोध कराती है जिनके प्रत्येक प्रयोजन नितान्त भिन्न होते हैं ।”
इमविल (Dumville) के अनुसार, “शिक्षा के व्यापक अर्थ में वे सभी प्रभाव आते हैं, जो व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रभावित करते हैं।
(Education in its wider sense includes all the influences which act upon an individual during the passage from cradle to the grave.)

शिक्षा का समन्वित अर्थ

जॉन डीवी के अनुसार, “शिक्षा गत्यात्मक विकासोन्मुखी एवं बालक, समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होनी चाहिए ।”

शिक्षा की गत्यात्मकता का अर्थ है कि शिक्षा प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति की क्षमताओं एवं गुणों की अभिव्यक्ति के अवसर देकर उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है तथा ऐसी शिक्षा व्यक्ति को परिवर्तित सामाजिक पर्यावरण से सामन्जस्य करने योग्य बनाती है । शिक्षा प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति का इस प्रकार विकास किया जाना वांछनीय है जिसमें वह समाज एवं राष्ट्र का एक सुयोग्य नागरिक बन अपना सक्रिय योगदान कर सकें ।

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